
महाकुंभ का पानी गंदा होने की घटना एक गंभीर मुद्दा बन चुकी है, जो विशेष रूप से उन दिनों में चर्चा में रही जब इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में 2025 का महाकुंभ आयोजित हुआ। महाकुंभ के दौरान, लाखों श्रद्धालु गंगा नदी में स्नान करने आते हैं, जो उनकी आस्था और धर्म का हिस्सा है। इस दौरान गंगा नदी में बढ़ी भीड़, धार्मिक कार्यों और पूजा के सामान से पानी में गंदगी जमा हो जाती है।
कुछ प्रमुख कारण जो महाकुंभ के पानी के गंदा होने के लिए जिम्मेदार माने गए हैं:
उच्च संख्या में श्रद्धालु: महाकुंभ के दौरान लाखों लोग एक साथ नदी में स्नान करते हैं, जिससे पानी में बहुत अधिक प्रदूषण हो सकता है।
प्लास्टिक और कचरा: धार्मिक कार्यों के दौरान लोग पूजा के सामान जैसे फूल, दीपक, थाली आदि नदी में प्रवाहित करते हैं, साथ ही प्लास्टिक, थर्मोकोल जैसी सामग्री भी पानी में मिल जाती है।
सैनिटेशन की कमी: विशाल भीड़ और पर्याप्त शौचालय सुविधा न होने के कारण गंदगी फैलने की संभावना रहती है।
प्राकृतिक कारक: कभी-कभी बारिश और तेज़ बहाव के कारण पानी की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।
यह गंदगी न केवल नदी के पानी की गुणवत्ता को प्रभावित करती है, बल्कि यह प्रदूषण भी फैलाती है, जो लोगों की सेहत के लिए खतरे का कारण बन सकता है। नदी के पानी की सफाई और उसे बचाने के लिए अधिकारियों द्वारा कई प्रयास किए गए हैं, लेकिन यह मुद्दा हमेशा ही चुनौतीपूर्ण रहता है।
सरकार और संबंधित संगठन इस समस्या को हल करने के लिए विभिन्न पहल कर रहे हैं, जैसे कि बेहतर कचरा प्रबंधन, नदी के किनारे पर सफाई अभियान, और पवित्र नदियों के संरक्षण के लिए कई योजनाएं लागू की जा रही हैं।
